कामयाबी सिर चढ़ेगी
कामयाबी सिर चढ़ेगी
अभी तो कामयाबी सिर चढ़ेगी
ग़ज़ल को फिर जवानी सिर चढ़ेगी
परेशां हो गया था ज़िन्दगी से
मगर अब ये कहानी सिर चढ़ेगी !
हमेशा सच कहा तो सब ख़फा हैं
यही हाज़िर जवाबी सिर चढ़ेगी
किसी दिन मैं बुलन्दी पर रहूगाँ
ग़ज़ल की जब रवानी सिर चढ़ेगी !
बुरा मुझको बताने जो लगी है
उसी की बद ग़ुमानी सिर चढ़ेगी
हमेशा ख़्वाब में रहना लकी तू
यही बातें किताबी सिर चढ़ेगी...!