Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

हमसफ़र

हमसफ़र

1 min
7.2K


कभी किसी कछुए का

कवच देखा है ?

देह से जुड़ा,

साथ-साथ चलता,

अस्तित्व का हिस्सा !


तुम भी वैसा ही हिस्सा हो मेरा,

कि भय में, संकट में,

आपदा की आहट में,

गुप्त या प्रकट में,

तुम में ही सिमट जाती हूँ

और सिमट जाता है मेरा सारा संसार।


मकान की छत देखते हो ना ?

ढाल बनी रक्षा करती है,

घाम से, कभी मेघ से,

लू की थपेड़ से,

प्रकृति अजेय से।

तुम भी ऐसा ही आश्रय हो,

और तुम्हारे संरक्षण में यह घर-परिवार ।


माँ के सामीप्य का अनुभव तो किया होगा ?

तुम्हारी निकटता की अनुभूति भी वही है-

रोकती, कभी टोकती,

कभी साहस बटोरती,

विश्वास से उत्साहित, प्रोत्साहित करती।


और मैं बढ़ी चली जाती हूँ-

निर्भय, निरंकुश, अबाध,

स्वप्न करती साकार

कि तुम हो ना..!


Rate this content
Log in