मेरा क्या हैं जी लुंगा
मेरा क्या हैं जी लुंगा
सच बोलो भेद खोलो...
क्या तुम्हें मुझसे प्यार है?
तेरे बिना जीना दुश्वार है...
मुझे तुमसे प्यार है!
इंकार करो या इज़हार करो
नफरत करो या मोहब्बत!
तेरा हर फैसला सर आँखों पर...
जो कुछ भी कहो मंजूर होगा!
कब तक खामोश रहोगी यूँ ही...
अब तो कहना जरुरी है ना यार!
आखिर कब तक तड़पाओगी मुझे?
कहीं तुम गूंगी कठपुतली तो नहीं!
सदियों से हैं दुनिया वाले प्यार के दुश्मन...
वो आयेंगे फूल चढ़ाने शादी हो या कब्र पर हमारे!
बाकी तेरी मर्जी तेरा फैसला,
मेरा क्या है जी लुंगा कैसे भी!