कुछ ख़्वाहिशें हैं…
कुछ ख़्वाहिशें हैं…
कुछ ख़्वाहिशें हैं जिन्हें सब से छुपा रखा है
एक आग सी है जिसे बरसों से दबा रखा है !
कोई साथ हो, हमसफ़र बने, तो बात ही क्या
वैसे तो यादों का एक कारवाँ सजा रखा है !
पहले भी कई बार इश्क़ हुआ है दुनिया में
मेरी ही बार क्यों सबने तूफ़ान उठा रखा है !
यह भी कहाँ किसी करिश्मे से कुछ कम है
इस दौर में भी जो हमने ईमान बचा रखा है !
हौसले की मेरे क्या बात करते हो ऐ दोस्त ?
दुश्मनों को ख़ुद ही दे अपना पता रखा है !