तो क्या होगा
तो क्या होगा
अपनी दुनिया, अपनी धुन में खो जाऊं, तो क्या होगा
जैसी तुम हो, वैसा मैं भी हो जाऊं, तो क्या होगा।
देखकर तुमको मुस्कुराना छोड़ दूँ, तो क्या होगा,
सोच कर तुमको, शरमाना छोड़ दूं तो क्या होगा।
दिल में बसाकर, एकदम से बिसरा दूँ, तो क्या होगा
ख्यालों से तुमको निकाल कर फेंक दूं, तो क्या होगा।
कुछ सपने सजाकर, सारे ख्वाबों को तोड़ दूं, तो क्या होगा,
देख कर तुमको, मैं भी अब अपना मुँह मोड़ लूं, तो क्या होगा।
सहेजते सहेजते तुमको एकदम से बिखेर दूँ, तो क्या होगा,
सब कुछ अच्छा रहते हुए भी, एक दिन अचानक से, मिलना छोड़ दूं , तो क्या होगा।
अपना कहते कहते, एक दिन बेगाना बनाकर छोड़ दूँ, तो क्या होगा,
तुम्हारा दिल, अपने खुद के हाथों से तोड़ दूँ, तो क्या होगा।
तुम्हारे प्रेम पत्रों को मैं भी अखबार बना दूँ, तो क्या होगा,
मैं भी तुम्हारी नींद छीन कर, तुम्हें बेकरार बना दूँ, तो क्या होगा।
यह जो तुम्हारी खिलखिलाती हंसी है, एक दिन इसको छीन लूं तो क्या होगा,
बिना किसी बात के, एक दिन बातें करना ही छोड़ दूं, तो क्या होगा।
तुम्हारे नए आशिक़ों को, तुम्हारी बेवफ़ाई से आगाह कर दूं क्या होगा,
तुम्हारी हँसती खेलती दुनिया अगर मैं तबाह कर दूँ, तो क्या होगा।
एक दिन तुम लौट के आओ, और मैं आने से इंकार कर दूँ, तो क्या होगा,
मोहब्बत के बदले हर दफा केवल इंतज़ार दूँ, तो क्या होगा।
जैसी मग़रूर तुम हो, वैसा मैं भी हो जाऊं तो क्या होगा,
तुमको बदनाम करके, मैं भी अगर मशहूर हो जाऊं, तो क्या होगा।
सारे मीठे तरानों को, अगर शोर में बदल दूँ क्या होगा,
तुम्हारी आहों में भी मैं दर्द घोल दूं तो क्या होगा।
और एक बात सच सच बताना,
अगर तुम्हारे जैसा बेवफा, मैं भी हो जाऊं तो क्या होगा।