Jitendra Vijayshri Pandey
Abstract
कौन कहता है घर चिरागों से ही रोशन और दमकता है।
जनाब एक चिंगारी से ही चिराग का अस्तित्व बनता है।।
सैनिक
माँ
गुरु
रक्षाबंधन
आज ख़ुद से...
नारी
पानी पर बहते ...
रेप इन इंडिया
कुछ बातें जिनको भूलना चाहो वो भुलाए नहीं भूलती, और जिनको याद करना चाहो वो याद ही नहीं कुछ बातें जिनको भूलना चाहो वो भुलाए नहीं भूलती, और जिनको याद करना चाहो वो याद...
दिन ईमान जिन्दंगी की बुनियाद आसमान। दिन ईमान जिन्दंगी की बुनियाद आसमान।
उम्र के दूसरे पड़ाव में याद आती यादें उम्र के दूसरे पड़ाव में याद आती यादें
याद आती है खिलखिलाहट बच्चे की पूछनी है खैरियत, मासूम सी उसकी मुस्कान बनेगा वो मेरी शान। याद आती है खिलखिलाहट बच्चे की पूछनी है खैरियत, मासूम सी उसकी मुस्कान बन...
और वो ' अनजान सफ़र ' सदा के लिए 'जीवन सफर' बन अविस्मरणीय हो जाता है। और वो ' अनजान सफ़र ' सदा के लिए 'जीवन सफर' बन अविस्मरणीय हो जाता है।
बुलाती है मेरी माँ.. बुलाती है मेरी माँ..
जाने क्यूँ उनकी मुस्कुराहट का तलबग़ार रहता हूँ मैं जबकि हर बार वो मुझे घायल कर जाती है जाने क्यूँ उनकी मुस्कुराहट का तलबग़ार रहता हूँ मैं जबकि हर बार वो मुझे घायल क...
आज नारी केवल नारी नहीं बल्कि सभ्यता की होड़ में इस समाज में एक सबल प्रतिद्वन्द्वी है प्रतिप... आज नारी केवल नारी नहीं बल्कि सभ्यता की होड़ में इस समाज में एक सबल प्रतिद्...
समय बीत जाता है , तुम भी बीत जाओगे , समय के साथ रह जायेंगे केवल देवो के देव महादेव! समय बीत जाता है , तुम भी बीत जाओगे , समय के साथ रह जायेंगे केवल देवो के देव म...
कभी मिले क्या खुद से ? अब तो वक़्त भी है। कहते हैं ना मौका भी है और दस्तूर भी है। कभी मिले क्या खुद से ? अब तो वक़्त भी है। कहते हैं ना मौका भी है और दस्तूर भी...
कान्हा के प्रेम में पड़ कर जीवन सार्थक हो गया कान्हा के प्रेम में पड़ कर जीवन सार्थक हो गया
मेरा मन मेरे बचपन में आज याद किया है पूरे इक्यावन में।। मेरा मन मेरे बचपन में आज याद किया है पूरे इक्यावन में।।
हम नई उलझन में रोज़ बस उलझते जा रहे हैं। हम नई उलझन में रोज़ बस उलझते जा रहे हैं।
हिन्दी केवल मातृभाषा नहीं संवैधानिक एक पर्व है हिन्दी केवल राजभाषा नहीं गणतांत्रिक यह गर्व है। हिन्दी केवल मातृभाषा नहीं संवैधानिक एक पर्व है हिन्दी केवल राजभाषा नहीं गणतांत्र...
जिनकी स्मृति में इस दिवस को स्मृति दिवस के रुप में मनाया जाता है। जिनकी स्मृति में इस दिवस को स्मृति दिवस के रुप में मनाया जाता है।
सच्चाई हो, संघर्ष हो, इंसा के ख्वाब में। सच्चाई हो, संघर्ष हो, इंसा के ख्वाब में।
मैं बलिदान किया करता हूँ, जीवन यूँ ही जिया करता हूँ ... मैं बलिदान किया करता हूँ, जीवन यूँ ही जिया करता हूँ ...
समय बीतता गया श्वेता (भाभी) के ताने कठोर व्यवहार श्वेता के स्वभाव बनते गये। समय बीतता गया श्वेता (भाभी) के ताने कठोर व्यवहार श्वेता के स्वभाव बनते गये।
जहाँ हमारी मुस्कुरहट के साथ ही सुबह होती थी जहाँ हमारी मुस्कुरहट के साथ ही सुबह होती थी
बड़ी छोटी रकम से घर चलाना जानती थी मां कमी थी पर बड़ी , खुशियां जुटाना जानती थी मां बड़ी छोटी रकम से घर चलाना जानती थी मां कमी थी पर बड़ी , खुशियां जुटाना जानती ...