नाम मुझको मिला
नाम मुझको मिला
मुझ में कोई दाग ना हो ये मुमकिन तो नहीं
क्यों कि जब चाँद में दाग हो सकता है तो मुझ में क्यों नहीं,
मुझ में कोई आग ना हो ये मुमकिन तो नहीं,
क्यों कि जब सूरज में आग हो सकती है तो मुझ में क्यों नहीं,
मुझ में कोई खुश्बू ना हो ऐसा मुमकिन तो नहीं
क्योंकि जब फूलो में खुश्बू होती तो मैं भी तो कमल ही हूँ
नाम मुझको मिला कमल के नाम से मेरे बड़ों का दिया हुआ,
की खुश्बू फ़ैला देना अपने कर्मो से इस जहां में
साफ कर सकते तो हम हर वो दाग साफ कर देते,
जो मोहब्बत के नाम पर हमारे दामन को मैला कर गए,
भर सकते तो हम हर वो घाव भर लेते,
जो मोहब्बत के नाम पर हमारे दिल पर लगे,
काश ऐसा मुमकिन होता तो हम इस मोहब्बत
शब्द को ही खुद से दूर कर लेते,
और भी गम है ज़माने इस मोहब्बत के सिवा..।।