अनुराग
अनुराग
प्राणी-मानुष कोई भी हो
होत मुक भाषा प्रेम की,
आँखों की चमक परिभाषित करती,
यहाँ शब्दों का कोई मोल नहीं,
भावनाओं का प्रबल प्रहार,
न कोई सबूत ना ही उपहार।
प्राणी-मानुष कोई भी हो
होत मुक भाषा प्रेम की,
आँखों की चमक परिभाषित करती,
यहाँ शब्दों का कोई मोल नहीं,
भावनाओं का प्रबल प्रहार,
न कोई सबूत ना ही उपहार।