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मैं बेनक़ाब हूँ

मैं बेनक़ाब हूँ

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बदलते चेहरों का भाव एक हूँ

तपती दोपहरी में छाँव एक हूँ

जमकर बर्फ सा पिघल जाता हूँ

आग बन जल में जल जाता हूँ

बदलते आसमानों का ख़्वाब हूँ

मैं बेनक़ाब हूँ।


उड़ती चिड़ियों का आसमान होता हूँ

कभी ऊँच-नीच, कभी समान होता हूँ

कभी गिरकर उठकर चल देता हूँ

टूटे हारे हार गए को बल देता हूँ

हर दिन हर पल का हिसाब हूँ

मैं बेनक़ाब हूँ ।


बनने को एक विस्तृत आयाम हूँ

ढल जाने को भी सुनहली शाम हूँ

हौसलों का उगता सूरज भी मैं हूँ

अनंत मार्ग की कुछ दूरी तय हूँ

उछलते प्यालों का शबाब हूँ

मैं बेनक़ाब हूँ।


तेज़ हवाओं का तीखा किनारा हूँ

तेज़ बहाव की मद्धम धारा हूँ

तपती धूप में जलती रेत हूँ

लहलहाती फ़सल का सूखा खेत हूँ

शांति में तनिक रुआब हूँ

मैं बेनक़ाब हूँ।


एक उम्र पर्दे में बीत जाती है

कहीं असफलता, सफ़लता से जीत जाती है

मौन रहकर सब कुछ बोल जाते हैं

बंद करके भी सब कुछ खोल जाते हैं

तमाम चुप्पी का एक सीधा ज़बाब हूँ

मैं बेनक़ाब हूँ।


सूरज पर भी उंगली उठा देते हैं

झूठी श्रद्धा में सब कुछ लुटा देते हैं

बदलते मौसमों को ही देते दोष हैं

सब कुछ कहते हैं जब होते बेहोश हैं

उछलते कीचड़ों में चमकता आब हूँ

मैं बेनक़ाब हूँ ।।


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