डर
डर
1 min
7.2K
डर लगता था बचपन में,
अँधेरे से,
काली बिल्ली से,
साँप से, बिच्छू से, तिरिछ से,
अरे छिपकली से और
बागान में उछल कूद करते उस मेढक से भी!
खेतों के पास से गुजर रही उस पगडंडी के
हृदय में बसे उस अप्रयुक्त कुएँ से,
उसकी दीवार पर उग आए
पीपल की लहराती शाखाओं की
मुस्कान से,
और इमली के वृक्ष पर छुपे उस अदृष्ट भूत से भी!
पर अब?
वक्त-वक्त की बात है,
अब, डर लगता है सिर्फ इंसान से!