तेरे लिए
तेरे लिए
तू नहीं है दूर तक
पर यादें तेरी आज भी
मिलती है बाँहें खोल कर
मुझसे गले वैसे ही के
मिलता था तू जैसे कभी
बाँहें गले में डाल कर
वैसे ही मुस्कुरा कर
कहता था न तू उदास हो
मैं हूं यही.. मैं हूं रुका
तेरे लिए...
तन्हा हैं मेरे रात-दिन
कटते नहीं हैं तेरे बिन
आ कर तू इनको संवार दे
फिर मुझको जान पुकार दे
मेरी सांसें तकती हैं रास्ता
फिर आ के कह मैं हूँ रुका
तेरे लिए…