हौसलें बुलंद हैं
हौसलें बुलंद हैं
कुछ वक्त की तरह थम से गये हम,
कुछ रेत के जैसे बिखर गए हम,
कुछ बंदिशे हैं अभी ज़िन्दगी में,
कल खुले आसमान में उड़ना है हमें।
अभी तलाश रही हूँ,
एक खुला आसमान,
ज़िन्दगी के रैनबसेरे में,
अभी कुछ पल रुक जाऊँ।
तलाश है अभी खुद के बसेरे की,
कुछ रंग अभी फीके से हैं,
किस्मत के पिंजरे में कैद पंछी हूँ,
अभी तलाश बाकी है।
कहीं धूप है कहीं छाँव आती है,
ज़िन्दगी में कभी गम,
कभी ढेर सारी खुशियाँ,
आ जाती है शायद,
वक़्त इम्तहान ले रहा मेरा,
तारे कुछ गर्दिश में है अभी।
अभी इरादे भी कमजोर से लगते हैं,
कभी तो हौसला मिलेगा,
बस यही दिल की हसरत है,
एक दिन ये अंधेरा भी कम होगा।
एक नया सवेरा भी होगा,
अक्सर हराने वाले,
हार जाते हैं खुद से ही,
और हम अक्सर,
हार के भी जीत जाते हैं।