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वीरांगना

वीरांगना

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सजल हुई जो आँखें तेरी भागी दौड़ी भरी दुपहरी खबर हुई सालों पर पिया आये थे सालों का विनोद संग लाये थे। चित्र - गूगल आभार धड़क रहा था दिल व मन अहा!कितना स्वछन्द यौवन घर में जो किलकारी खेल रही खत्म हुई इंतज़ार की वो घड़ी। शर्माना उसने भूला था माना लोगों का रेला था वो बस दौड़ी आगे जायेगी जो पिया मिले ठहर जायेगी। पर मन में थोड़ा असमंजस था क्या बोलेगी संकोच हुआ फिर सोचा थोड़ा रुठ वो जायेगी प्रेम रूप फिर जी पायेगी। पिया ज़रूर मनाएंगे हाँ-हाँ कितना तड़पायेंगे पर तीव्र गति क्यों ठहर गयी क्या हुआ घटा घनघोर हुई। प्रण लिया था न कुछ बोलेगी पर क्रंदन ही वो बोली थी हाँ पिया लौट वापस आये थे पर पोशाक तिरंगे की लाये थे। वो लिपट गयी और सिसक पड़ी कहें क्या उससे वे सोच रहे पर भूल गए की वो पत्नी वीर की कीमत कितनी आँखों के नीर की। हाँ,थोड़ी बेहोशी थी पर जाग उठी वीरांगना वो ऐसी थी फिर पिया को किया सलाम आखरी धन्य तू भारत की नारी।


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