याद में मेरी वो
याद में मेरी वो
याद में मेरी वो आकर बैठ गए है
अभी तक थे मेरे वो तस्सवुर में,
अब खुली आँखों से भी मेरे नैन
सपने सलोने दिखने लगे है।
याद में मेरी वो आकर बैठ गए है
लोग दीवाना समझने लगे है मुझको
अभी तक सोचकर मुस्कुराता था
अब आब ऐ चश्म यूँ ही नैनों में
छलकते हुए आने लगे है।
याद में मेरी वो आकर बैठ गए है
बेवजह भी हम चिराग बुझाते है।
अभी तक शाम के बहाने थे पास
अब दिन में भी तन्हाई का आलम
अनजाने में हम बनाने लगे है।
याद में मेरी वो आकर बैठ गए है