आज आती है याद माँ बहुत तेरी
आज आती है याद माँ बहुत तेरी
आज आती है याद माँ बहुत तेरी,
वो तेरी थपकी, वो तेरी लोरी ।
आज आती याद उस बचपन की,
उस मस्ती की, उस छुटपन की ।
वो प्यार जो था मुझे कभी मिलता,
पर क़द्र ना जिसकी कभी करता ।
वो आँखें जिनमें थी भरी ममता,
पर मैं न था कभी उन्हें समझता ।
आज आती है याद उस थपकी की,
थपकी से आयी मीठी झपकी की ।
आज आती है याद माँ बहुत तेरी,
वो तेरी थपकी, वो तेरी लोरी ।
बहुत खाने का मन है उस रोटी को,
कभी देख जिसे था मैं बिचक उठता ।
बहुत पाने का मन है उस डाँट को,
कभी पा जिसे था मैं सिसक उठता ।
आज आती है याद उस आँगन की,
उस आँगन में बीते सावन की ।
आज आती है याद माँ बहुत तेरी,
वो तेरी थपकी वी तेरी लोरी ।
वो तेरी अविचल सी आँखें,
जो मेरे लिए बरसती थीं ।
दूर कभी जो मैं होता,
तो मेरे लिए तरसती थीं ।
आज आती है याद उस दुलार की,
उस करुणा से भरी पुचकार की ।
आज आती है याद माँ बहुत तेरी,
वो तेरी थपकी, वो तेरी लोरी ।
वो आँचल जिसमें मैं था छुपता,
वो उँगली जिसपे मैं था थमता ।
वो सीख जिन्हें था न मैं कभी सुनता,
वो दर्द जिसे था न मैं कभी सहता ।
आज आती है याद मुझे उन सपनों की,
उन प्यार से भरे सभी अपनों की ।
आज आती है याद माँ बहुत तेरी,
वो तेरी थपकी, वो तेरी लोरी ।