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बचपन

बचपन

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बचपन के वो दिन प्यारे,
थे कितने न्यारे-न्यारे।
खेलते थे हम खेल सारे,
जीवन के अनोखे दिन थे हमारे।

दुनिया हमारे इशारों पर चलती थी,
शाम कितनी जल्दी ढलती थी।
तब जीते थे खिलखिलाते हुए,
आज जीते हैं मुस्कुराते हुए।

हम बच्चे थे कितने चुस्त,
बाक़ी सब थे कितने सुस्त।
हमारे पास था कितना वक़्त,
आज ज़िन्दगी है कितनी सख्त।

तब दिन था बहुत सुहाना,
आज बदल गया है ज़माना।
बीत गए वो खुशी के पल,
अब सोचना है क्या होगा कल?

आज जब कभी हँसते हैं,
आैर जब कभी रोते हैं,
तब कहते हैं, बचपन कहाँ गया?
हमारा बचपन कहाँ गया?


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