स्वयं का आह्वान...........
स्वयं का आह्वान...........
हम किसे आवाज़ देते हैं?
और क्यूँ?
क्या हम में वो दम नहीं,
जो हवाओं के रुख बदल डाले,
सरफरोशी के जज्बातों को नए आयाम दे जाए,
जो -अन्याय की बढ़ती आंधी को मिटा सके....
अपने हौसले, अपने जज़्बे को बाहर लाओ,
भगत सिंह, सुखदेव कहीं और नहीं
तुम सब के दिलों में हैं,
उन्हें बाहर लाओ.....
बम विस्फोट कोई गुफ्तगू नहीं,
दुश्मनों की सोची-समझी चाल है,
उसे निरस्त करो,
ख़ुद का आह्वान करो,
ख़ुद को पहचानो,
भारत की रक्षा करो !