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Bhavana Gupta

Drama

4.9  

Bhavana Gupta

Drama

वो बचपन की यादें

वो बचपन की यादें

1 min
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कहाँ गई वो बचपन की वो नादानियाँ,

कहाँ गई वो बचपन की शैतानियां|

वो बचपन जो खो गया,

मैं खुद से ही दूर हो गया |


वो बारिश में भीगना.

वो बारिश में नहाना,

फिर वो माँ की डांट खाना

वो डांट भी कितनी प्यारी थी,

वो बचपन जो खो गया,

मैं खुद से ही दूर हो गया |


हम पागल थे नादाँ थे,

प्यारे तो थे पर शैतान भी थे,

खेलना कूदना होती थी मज़ा

और पढाई ज़िन्दगी की सबसे बड़ी सजा

वो बचपन जो खो गया,

मैं खुद से ही दूर हो गया |


याद है मुझे स्कूल के वो दिन,

दोस्तों के साथ करते थे मस्ती,

और शिक्षक हमेशा दिखाते सख्ती,

वो होम वर्क न करें पर हमें क्लास से बहार करना,

और हमारा पूरी टोली के साथ बहार निकल जाना,

वो बचपन जो खो गया,

मैं खुद से ही दूर हो गया |


आखों में मासूमियत झलकती थी,

लबो पे मुस्कराहट झलकती थी,

दिमाग को दुनिया की परवाह ही नहीं थी.

और दिल बिलकुल साफ था

आखिर वो बचपन था

वो बचपन जो खो गया,

मैं खुद से ही दूर हो गया |









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