शेर-ए-क़लम
शेर-ए-क़लम
यूँ सवालों में हर बार उलझना अच्छी बात नहीं होती,
सवाल तो कभी कभी जवाब भी किया करते हैं।
कहते हैं कुछ सवालों के जवाब नहीं होते,
जवाब तो अक्सर सवालों मैं भी रहा करते हैं।
दर्द बयाँ करना हरदम हिमाकत नहीं होती,
दर्द तो कभी कभी सपने भी दिया करते हैं,
कहते हैं जिनमे होती नहीं ताक़त सर उठाने की,
पूरे आसमान का दर्द ख़ुशी से वही सहा करते हैं।
हर बात पर टोकना सच्ची बात नहीं होती,
अल्फ़ाज़ भी कभी कभी झूठ कहा करते हैं।
कहते हैं जिनको बोलना होता है बहुत कुछ,
हँसकर बात बदलकर चुप रहा करते हैं।