Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Alka Agarwal

Tragedy

4.8  

Alka Agarwal

Tragedy

मौत

मौत

1 min
488



वो याने मांगू रहता है वहाँ,

जहाँ पंचतत्व से बना शरीर

राख में बदल जाता है।

चलता फिरता था, जो शरीर,

निर्जीव हो, जला दिया जाता है,

धुंआ बन जाता है।

वर्तमान से अतीत बन जाता है।

है से था बन जाता है।

सबको मौत से डर लगता है,

पर उसे नहीं,

मौत औरों को डराती है,

पर मांगू को बिल्कुल नहीं।

क्योंकि शमशान ही उसकी कर्मभूमि है,

शमशान ही उसके जीने का साधन है।

बच्चों के जीवन की डोर हैं।

जितने मुर्दे आएंगे, जलने, उतनी लकड़ियाँ वो लगाएगा

किसी से कुछ, किसी से कुछ वो पाएगा।

कैसी त्रासदी है यह

कैसी है विडम्बना

खुद पर शर्म भी उसे आती है,

पर जीवन के कड़वे सच के नीचे दब जाती है।

रोज सुबह उठते ही, ईश्वर से करता है मांगू याचना।

प्रभु आज ज्यादा से ज्यादा, मुर्दे भेजना।

ताकि भूख से न बिलखें बच्चे उसके,

भूख से न पड़े मरना।

ज्यादा जो मुर्दे जलने आए,

तो सजा पाता है, बच्चों के चेहरे पर मुस्कान।

दाल रोटी के साथ, कभी ला देता है कुछ मीठा भी

कितना दुखद ये लगता है।

अपने परिवार के जीवन के लिए

किसी की मौत की कामना वो करता है।

वाह क्या त्रासदी है जीवन की,

मांगू का परिवार भूखा मर जाएगा,

गर कोई मुर्दा जलने नहीं आएगा।

वाह रे मौत तू एक पहेली है।

कौन कहता है, मौत सबको रुलाती है,

उनके सूखे अधरों पर मुस्कान सजा जाती है।

तू मांगू के परिवार को जिंदगी दे जाती हउसके परिवार की तू सहेली है।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Alka Agarwal