उड़ान
उड़ान
हर कोई यहाँ
उड़ान भरना
चाहता है
पंख भले न हो
आसमान में
उड़ना चाहता है
चादर भले ही
छोटी हो पैर पूरे
फैलाना चाहता है
कल क्या होगा
ज़िन्दगी का पता
नहीं फिर भी
हजार साल मस्ती
से जीना चाहता है
इन्सान की आशाएं
इच्छाएं अनन्त है
तभी तो कभी भी
मरना नहीं चाहता है
जीवन का हर सुख
सुविधा चाहता है
भोग विलास में
जीवन भर हर
पल लगा रहता है
मोह माया में हमेंशा
भटकता रहता है
सोते जागते हर वक्त
टू व्हीलर फोर व्हीलर
में मिल जाय तो
हवाई जहाज में भी
उड़ना चाहता है
ख्वाहिशों की उड़ान
भरता रहता है।
पैसो के लालच में
सही गलत भूलकर
भ्रष्टाचार चोरी डकैती
कत्लेआम करता है
पाप पुन्य सब भूलकर
इन्सान इन्सान को
भूल जाता है।
ज्ञान बुध्दि होने पर भी
इन्सान ऐसी उड़ान
आखिर क्यो भरता है
मौत सभी की होना है
फिर ऐसा क्यो करता है।