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इस हुस्न की तारीफ

इस हुस्न की तारीफ

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इस हुस्न की तारीफ इबादत नज़र में है

इस हाथ में ये जाम मेरा ख़ुन-ए जिगर है


लब चाहता है बोलना तुमसे हर एक बात

कुछ याद अभी ताज़ा भी मेरे जिगर में है


हथियार से अब क़त्ल ना दुश्मन का करेंगे

ये हुस्न ही हथियार अब मेरी नज़र में है


कुछ बोल दो अब तुम भी तेरा-मेरा क्या रिश्ता

अब चेहरा खुदावंद तेरा दिल के घर में है


एक नाम मेरे दिल में भी घर अपना कर लिया

एक चेहरा सादगी भी दिल की नज़र में है


एक आग सुलगती है मेरे दिल में आज क्यों

एक पर्दा नशीन आज भी मेरी नज़र में है


उन्वान मोहब्बत का जिसको मैंने लिख दिया

उम्मीद मोहब्बत भी तेरा दिल सफर में है


दिल भूल गया आज वफा दिल में है ज़िन्दा

मेरे इश्क का चर्चा भी हज़ारों शहर में है


वो दिन था नहीं रात जो तुमसे मैं मिला था

अब यादों की ख़ुशबू भी मुकम्मल जिगर में है।।


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