विशिष्ट विद्यार्थी जीवन
विशिष्ट विद्यार्थी जीवन
अनोखा है यह मनुष्य का जीवन,
उसमें फिर विशिष्ट हैं विद्यार्थी जीवन
माता-पिता बनते हैं हर छात्र के सर्वप्रथम गुरु,
अपने घर परिवार से ही शुरू होता है विद्यार्थी जीवन शुरू
बचपन का सुनहरा समय है अत्यंत मूल्यवान,
प्रज्ञान से ही मनुष्य बनता है बुद्धिमान विद्वान गुणवान
समस्त गुरुजनों से मिलता है अशेष विशेष विद्याधन,
अपने सहपाठियों से मिलता है मृदुल मैत्री का बंधन
पुरुषोत्तम श्रीराम स्वयं बने महर्षि वशिष्ट के छात्र,
मुरली मनोहर श्रीकृष्ण बने महर्षि सांदीपनि के छात्र
विद्यालय में होता है ज्ञान-विज्ञान उपार्जन का शुभोदय,
गुरुजनों द्वारा विद्यार्थियों में होता है मेधाशक्ति का नवोदय
बचपन के दोस्तों में होते है कई हास्य-गल्प वाद-विवाद,
इस निःस्वार्थ स्नेह का किया नहीं जा सकता हैं अनुवाद
विद्यार्थियों शिक्षकों में होता है विभिन्न विचारों का आदान-प्रदान,
अध्यापक अध्यापिकाएं कभी नहीं अभिलाषा रखते कोई दान-प्रतिदान
दोस्तों की समझ-नासमझ बातें बनते है यादगार,
फिर उनके ईमानदारी सही मशवरे बनते है ईमानदार
विविध प्रान्त भाषाओं संस्कृतियों के छात्रों का होता है परिचय,
यह मनोहर मिलाप है एक अविस्मरणीय रमणीय समय
महत्वपूर्ण है नियतकालिक निरंतर होता हुआ हर परीक्षा ,
परिणाम के प्रतीक्षा अनन्तर होता है निरंतर समीक्षा
वेद विद्या से ही मिलता है विद्यार्थी को पंडित का पहचान
यही है वरदायिनी विद्यादात्री वंदनीय वाग्देवी का विशिष्ट वरदान