उन्हें सजा दो
उन्हें सजा दो
उसने मेरे होठों को मरोड़कर छुआ,
पर मुझे प्यार का एहसास नहीं हुआ
उसने मेरे बदन को सहलाकर छुआ
पर मुझे प्यार का एहसास नहीं हुआ
जब जब वो मेरे करीब आया तो
दिल में अजीब सी धक धक हुयी
जैसे ही वो दूर गया तो राहत हुयी
उसके बदन की खुशबू मुझे छू रही थी
पर उसमें प्यार की वो महक नहीं थीं
उसने मेरे दोनों हाथों को पकड़ा था
कसकर अपनी बाहों में जकड़ा था
मेरे मुँह से दर्द की एक चीख थी आह्
पर उसके मुँह से निकला था वाह
वो ना तो मेरा महबूब है ना ही प्यार
उसके ऊपर था कोई हैवान सवार
वो कोई हवस का शिकारी हैं और
आज शायद मैं उसका शिकार हूं
गौर से तुम देखों मुझे जरा
मैं कुछ पल में मरनेवाली लाश हूँ
वो एक दरिन्दा हैं उसे बचाना नहीं
या मेरे नाम पर मोमबत्ती जलाना नहीं
ऐसा हाल करो कि मौत को तड़प जाए
और इनके जैसे गलती कोई ना दोहराए।