ख़ुद को बचाऐ रखने के लिऐ
ख़ुद को बचाऐ रखने के लिऐ
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खारिज़ कर दी जाऐगी वो दुनिया
जिसे उन्होंने नहीं देखा
जो सुनी ही नहीं
जिसे सूँघा भी नहीं
और जिसके स्वाद के बारे में
किसी कविता तक में नहीं पढ़ा
ऐ ऐसी दुनिया!
तुम्हें अपने अस्तित्व को
सिद्ध करने के लिऐ
ढलना होगा
उनके बनाऐ ख़ाँचे में
अपनी पहचान
अपने रंग अपने रूप
अपने क़द को करना होगा प्रमाणित
पानी होकर उनके मानकों में उतरते हुऐ
मिट्टी को जा खड़ा होना होगा
शीशे के सामने
हक़ीकत को तस्वीर बनना होगा
दस्तावेज़ों में जगह पाने को
अपनी गन्ध के नमूने भरने होंगे
जब ये सब करने में व्यस्त हों वो
उसी समय नज़र बचाकर
हौले से घुस के बैठ जाना होगा
समय के उन रौशन पन्नों पर
जिन्हें जोड़ा जाऐगा कल
इतिहास में
वर्ना!
तुम्हारे छिपने में
तुम्हारे मिट जाने के ख़तरे की
साँसें चल उठेंगीं