मेरी प्यारी लाडो
मेरी प्यारी लाडो
एक बेटी,
जब ससुराल से आए,
तब लगती पराई सी है !
सही कहती है, दुनिया
शादी के बाद बेटी पराई है।
********************************
जब घर आए,
तब लगती है, कुछ अलग सी है !
पर आज भी मेरे लिये तो,
यही मेरी प्यारी लाडो है !
*******************************
जिसके घर आते,
मेरे घर मे रौनक आए !
ना उसके ना आते,
मेरे आखों मे आँसू,
क्या यही मेरी प्यारी लाडो है !
*******************************
जिस का एक दिन भी,
फ़ोन ना आए,
तो मेरे दिल मे हो बेचैनी,
वही तो मेरा दिल और धड़कन है !
यही मेरी प्यारी लाडो है !
**************************************
अब तो आते ही बैठे सोफे पर,
और करे मुझसे बातें पर मेरी लाडो तो,
पलंग पर बैठे बिना,
मुझसे बात ही ना करती थी !
क्या यही मेरी प्यारी लाडो है !
****************************************
आते ही अपने जाने का वक़्त भी बताती है !
पर मेरी गुडिया वक़्त तो
कभी देखती ही नही थी !
क्या यही मेरी प्यारी लाडो है !
****************************************
शायद ससुराल और मायके ने,
उसे पराई का नाम दिया हो,
पर मेरे तो घर में वह हमेशा,
मेरी प्यारी लाडो है !
क्या यही मेरी प्यारी लाडो है !
******************************************
खाती तो रोज है,
पर पेट भर कर ,
मन भर कर तो,
मेरी गुडिया मेरे हाथ,
का खाना ही खाए !
क्या यही मेरी प्यारी लाडो है !
******************************************
आने से पहले उसकी खाने की,
ख्वाइशों की खुशबू मेरे अगन में आती हैं !
पड़ोसन भी आकर पूछती हैं !
क्या आज बेटी आती हैं।
क्या यही मेरी प्यारी लाडो है !
***************************************
जो कभी छोटी-छोटी पर रोती थी !
और मुझसे लड़ती थी !
आज वही बड़ी-बड़ी बातों का,
दर्द मन में लिए बैठी है !
क्या यही मेरी प्यारी लाडो है !
******