गाँव
गाँव
गाँव से सुन्दर ना है शहर हमारा
मन को भाए इसकी हरियाली
गाँव हमारा कितना सुन्दर
कितना प्यारा,
इसकी कोमल-कोमल हरे पत्ते को
छूकर मैंने गाँव के रंग रूप को जाना
घरों में जब पानी भर जाए
मानो इसकी सुन्दरता में
चार चाँद लग जाए,
मैंने सोचा इस नीर पर रात्री में
जब चाँद उतरेगा
थामे और हल्की बहती पानी में
शरमाई-शरमाई
अपने आपको निहारेंगे,
सोचो क्या वो नीर
चाँद के लिए दर्पण बन जायेगा
और बच्चों का चंदा मामा धरा
पर उतर कर आएगा,
ऐसा कहाँ मिलता है शहरों में
ये तो है बस हमारे गाँव में
ये तो है बस हमारे गाँव में !!