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Nikhil Sharma

Others

1.0  

Nikhil Sharma

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रूममेट की गर्लफ्रेंड। …

रूममेट की गर्लफ्रेंड। …

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क्या बताऊँ ज़िन्दगी ने कैसी क़यामत ढाई है । 
जब से मेरे रूममेट ने गर्लफ्रेंड पटाई है ॥

अच्छे - खासे घर की ख़ुशियों का सत्यानाश हो गया । 
जब से मेरे दोस्त के सिर पर इश्क़ का भूत सवार हो गया ॥

जब जब वो उसे लेकर घर पे आता है । 
माँ कसम मेरा पारा सौ से ऊपर पहुँच जाता है ॥

जब -जब वो बन सँवर के मेरे घर पे आती है । 
मेरे घर की गलियाँ मेरी दर्द भरी चीत्कार से भर जाती है ॥

क्या बताऊँ जनाब, कैसे गुस्से पे काबू पाता हूँ । 
किसी तरह उसे ज़िंदा छोड़ , दोस्त को विधुर होने से बचाता हूँ ॥

जब वो हाथों में हाथ डाल मेरे कमरे में बैठे होते है । 
कोई कितना शरीफ़ क्यों न हो , हर दिल में अरमान होते हैं ॥

हद तो तब होती है , जब हमारी "भाभी माँ " हमारे यहाँ ही सोती है । 
हमारे आपे की हर हद , अपनी चरम सीमा पर होती है ॥

प्रेम पंछियों का रेन बसेरा जब हमारा कमरा होता है । 
इन्हे इस धरती से नींद में ही छुटकारा देने का मेरा मन होता है ॥

ये ऐसा भूत है , जो किसी टोटके से नहीं उतरता । 
गिरता हुआ जहाज़ है , सँभाले नहीं सँभलता ॥

इस गलतफ़हमी में मत रहना की दिल में मेरे कोई जलन है । 
ये तो बेबसी की वो कहानी है , जो अब असहन है ॥

प्रेम करना अच्छा है , न है उसमें कोई ज़िल्लत । 
पर दुआऐं उसे तब मिलती है , जब हो भावनाओं की इज्ज़त ।।

जब हर संवेदना अपने सुख के लिऐ ठुकराई जाती है । 
तो "भाभी" की उपाधि नहीं मिलती, सिर्फ़ "रूममेट की गर्लफ्रेंड " रह जाती है ॥

 


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