रूममेट की गर्लफ्रेंड। …
रूममेट की गर्लफ्रेंड। …
क्या बताऊँ ज़िन्दगी ने कैसी क़यामत ढाई है ।
जब से मेरे रूममेट ने गर्लफ्रेंड पटाई है ॥
अच्छे - खासे घर की ख़ुशियों का सत्यानाश हो गया ।
जब से मेरे दोस्त के सिर पर इश्क़ का भूत सवार हो गया ॥
जब जब वो उसे लेकर घर पे आता है ।
माँ कसम मेरा पारा सौ से ऊपर पहुँच जाता है ॥
जब -जब वो बन सँवर के मेरे घर पे आती है ।
मेरे घर की गलियाँ मेरी दर्द भरी चीत्कार से भर जाती है ॥
क्या बताऊँ जनाब, कैसे गुस्से पे काबू पाता हूँ ।
किसी तरह उसे ज़िंदा छोड़ , दोस्त को विधुर होने से बचाता हूँ ॥
जब वो हाथों में हाथ डाल मेरे कमरे में बैठे होते है ।
कोई कितना शरीफ़ क्यों न हो , हर दिल में अरमान होते हैं ॥
हद तो तब होती है , जब हमारी "भाभी माँ " हमारे यहाँ ही सोती है ।
हमारे आपे की हर हद , अपनी चरम सीमा पर होती है ॥
प्रेम पंछियों का रेन बसेरा जब हमारा कमरा होता है ।
इन्हे इस धरती से नींद में ही छुटकारा देने का मेरा मन होता है ॥
ये ऐसा भूत है , जो किसी टोटके से नहीं उतरता ।
गिरता हुआ जहाज़ है , सँभाले नहीं सँभलता ॥
इस गलतफ़हमी में मत रहना की दिल में मेरे कोई जलन है ।
ये तो बेबसी की वो कहानी है , जो अब असहन है ॥
प्रेम करना अच्छा है , न है उसमें कोई ज़िल्लत ।
पर दुआऐं उसे तब मिलती है , जब हो भावनाओं की इज्ज़त ।।
जब हर संवेदना अपने सुख के लिऐ ठुकराई जाती है ।
तो "भाभी" की उपाधि नहीं मिलती, सिर्फ़ "रूममेट की गर्लफ्रेंड " रह जाती है ॥