मेरी आरज़ू तू लिख
मेरी आरज़ू तू लिख
मेरी आरज़ू तू लिख,
मैं अफसाना बना लूँगा
तू थोड़ी देर ठहर
मैं लोगो को शब्दों से
अपना दीवाना बना लूँगा।
अब कश्मकश में ज़िंदगी
मैं आती मौत मना लूँगा
तू जब जब सोचेगा
तनहा होकर मुझको
तन्हाई से पैमाना बना लूंगा।
जब शाम के सुनहरे पल को
मैं अपने संग बिठा लूंगा
तू भी मुझको चाहेगा
मैं अक्स तेरा देख जल में
सितारों से अलग जगह दूंगा।
अब तूफानी हवाओं का दौर
मैं आँखों में तिनके छुपा लूंगा
जब होगी चुभन आखों में
मैं पल्के बंद करके खोलूंगा
और तिनकों को जगह दूंगा।