तुम्हारी क़ुरबानी में सजदे, तो आज भी बहुत हुआ करते हैं ।
तुम्हारी क़ुरबानी में सजदे, तो आज भी बहुत हुआ करते हैं ।
तुम्हारी क़ुरबानी में सजदे, तो आज भी बहुत हुआ करते हैं ।
पर आज वो मनचले नहीं रहे , जो मुल्क कि मिट्टी से इश्क़ किया करते है ॥
तुम्हारी याद में आज भी , मोमबत्ती और दिए जलाये जाते हैं ।
पर आज वहशीपन में , आशियाने ख़ाक कराये जातें हैं । ।
तुम्हारी शहादत पर चर्चे तो हर बरस कराया करते हैं ।
पर हर शाम के साथ , मक़सद को भूल जाया करते हैं ॥
वतन से इश्क़ करने की मिसालें आज भी दी जाती है ।
परदे के पीछे , पर बस मखौल उड़ाया करते हैं ॥
खून बहाने का शौक आज भी लगता वहशियों को ज़रूरी है ।
फर्क इतना चमड़ी पहले गोरी थी , और आज भूरी है ॥
जिस्म से बहा, खून का हर एक कतरा, जुनूँ पैदा कर जाये।
जियें तो मुल्क कि शान में , और उसी में मर जाएं । ।
ये ख्याल तेरे अब बस भूली बिसरी बातें है ।
जो बस वोट मांगने को, भाषण में सुनाये जातें है । ।
तेरी शहादत पर मेले तो आज भी लगाये जातें है ।
पर उनमें सिर्फ, हुकूमत करने के ,तरीके सिखाये जाते हैं । ।