सच्चे साथी
सच्चे साथी
आओ सभी हम वृक्ष लगाये
धरती को फिर स्वर्ग बनाये।
वृक्ष हमारे सच्चे साथी
क्यों न इनसे हाथ मिलायें।
आओ सभी हम वृक्ष लगायें
धरती को फिर स्वर्ग बनायें।
आती जब मानव पे विपदा
करते ये हर भाँति सुरक्षा।
आज पड़ी है इन पे विपदा
क्यों न करें हम इनकी रक्षा।
आओ सभी हम वृक्ष लगायें
धरती को फिर स्वर्ग बनायें।
सबसे प्यारा धन यह हमारा
सारा जग इन पर तन हारा।
इनसे बँधी साँसों की डोर
इनसे अलग नहीं कहीं ठौर।
आओ सभी हम वृक्ष लगायें
धरती को फिर स्वर्ग बनायें।
मधुर मनोहर मीठे फल को
खुशी-खुशी देते हैं हमको।
अपना सर्व लुटाते हम पर
क्यों न करें हम नेह इन पर।
आओ सभी हम वृक्ष लगायें
धरती को फिर स्वर्ग बनायें।
शीतल जल वर्षा का देते
मलयाचल के झोंकें देते ।
बुझाते जठरानल की आग
क्यों न करे हम इनसे राग।
आओ सभी हम वृक्ष लगायें
धरती को फिर स्वर्ग बनायें।
मानव से कुछ नहीं माँगते
धरती पर रहना यह चाहते।
आओ दोनों हाथ मिलाये
ये भी धरती पर इठलाए।
आओ सभी हम वृक्ष लगायें
धरती को फिर स्वर्ग बनायें।