एक नई राह की ओर चला
एक नई राह की ओर चला
कहाँ हूँ मैं उड़ चला,
कहाँ से उड़कर आया हूँ,
क्या वजूद है मेरा,
किसका मैं सरमाया हूँ -
किसकी ख़ामोशी में डूबा,
किसका है ये सारा जहान,
कौन कहे फिर मुझको तू तो,
हर वक्त मेरा बनके रहा -
वो शक्ति है क्या मेरी,
जो भीतर - भीतर जल रही,
जिसके आसरे मेरी ज़िन्दगी,
छुक - छुक करती चल रही -
हर पल यहाँ, हर पल वहाँ,
हूँ आखिर मैं कहाँ उड़ चला,
क्या देश मेरा, क्या वेश मेरा,
किस दुनिया को मैं छोड़ चला -
एक नयी दुनिया कि आस में,
उड़ने कि उस प्यास में,
जल रही थी जो आग भीतर,
रख उसको विश्वास में -
वक्त ने सीखने को,
कितना वक्त है दे दिया,
मैं वक्त को ही भुलाकर,
एक नई राह कि ओर चला -
प्रारम्भ करने को नया युग,
मैं वक्त कि पाबन्दी तोड़ चला,
उन उम्मीदों को पंख देने,
एक नयी राह की ओर चला -
एक नई राह की ओर चला...।