फिसलते मोती
फिसलते मोती
अपनी ख्वाहिशें
मुट्ठी में बंद रेत की तरह
खो देता हूँ।
फिर यादों को उनकी
मोतियों सा पिरो लेता हूँ
तुम्हारी नज़र में मिट्टी हैं
मेरे फिसलते मोती।
जागता हूँ
सवेरा नया नहीं लगता
सोता हूँ
तो रात पुरानी लगती है।
यादों की किताबों में लिखी
मेरी बातें छोटी छोटी
तुम्हारी नज़रों में कविता है
मेरे फिसलते मोती।