गुज़रे लम्हे
गुज़रे लम्हे
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हर रोज़ ज़िन्दगी को सताना ज़रूरी है ॽ
उससे महुब्बत थी चलिए माना हमने
अब रोज़ थोड़ी उसकी
याद में मरना ज़रूरी है।
किस्मत में जो था ही नहीं कभी
हर घड़ी थोड़ी उसके जाने पर
आंसू बहाने ज़रूरी है।
हां माना उसके होने से मुझे
खुद के होने का एहसास होता था
मगर सांसों का चलना भी तो
ज़िन्दगी को ज़रूरी है।