यह मातम क्यों?
यह मातम क्यों?
मरने की तमन्ना किस को है, जीने का फिर यह मातम क्यों?
मिल जाता तो अच्छा था, ना मिलने का पर यह मातम क्यों?
कुछेक की बात जुदा होती, ख़्वाहिशें भी तो अपनी हज़ारों हैं
पूरी ना हुईं तो क्या रोना, हर एक का फिर यह मातम क्यों?
ख़ामोशी के सिवा जब कुछ ना था, वो भी हमको खलती थी
बातों से माना बात बढ़ी, पर अब बातों का यह मातम क्यों?
जब दोस्त मिले तो बहुत मिले, मोहब्बत भी हमें कई बार हुई
गर आज अकेले बैठे हैं, तन्हाई का आख़िर यह मातम क्यों?
आज नहीं तो कल-परसों, आख़िर फ़ौत तो सब ने होना है…
आमद की कोई ख़ुशी कैसी, जाने का फिर यह मातम क्यों!?
फ़ौत होना: मर जाना