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कमल तेरी फ़िजूल कलम से

कमल तेरी फ़िजूल कलम से

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फिर मचने वाली है धूम

फिर तू चारोंं ओर घूम

कहीं चकाचौंध रोशनी है

कहीं खिली है फर्श पर रंगोली ।।


सुख समृद्धि उल्लास का पर्व

पकवानों की महक मिठास का पर्व

सुन्दर स्वर्णिम सजा है हर कोना-कोना

दीपों से जगमग करती हर खोली ।।


आसमान में टिमटिम तारे

जमी पर उतरे होंं मानो सारे

ऐसा सजा हमारा चमन है

भली सजी है माता की डोली ।।


अब तो देखो होगा पूूूजन

आरोग्यम सुख समृद्धि का अर्चन

भक्तिमय वातावरण होगा अब तो

कीर्तन आरती की वो मीठी बोली ।।


एक दूसरे को बँटेगा प्रेेम-प्यार

ऐसा यह खुशियों का त्यौहार

एकरुपता मेें बँँध जाता मोहल्ला

हो जाते सब दीपोंं संग हमजोली ।।


शुभकामनाएँ सभी पाठकगण

अभिनन्दन सभी लेेेखक जन

मुबारक हो यह प्रकाश पर्व आपको

'कमल' की तरफ से हैैप्पी दिवाली ।।


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