मुझे छोड़ दो
मुझे छोड़ दो
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वह एक मासूम सी लड़की थी
तमन्नाओं के रंग में डूबी हुई
सूर्योदय सी मुस्कान वाली
माँ की दुलारी, पिता की लाडली।
सहसा हंस देने वाली
आज झुंझलाकर रोई
काश कोई बचा ले उसको यह सोचकर
वह तड़पकर रोई
वह दरिंदा पास आ रहा था
गिड़गिड़ाकर बोली "मुझे छोड़ दो"
और मूक हो गयी
वह घूरता रहा और
वह खुद को नग्न महसूस करने लगी
इस बार वह ठीक सामने था
जब वह बोली "मुझे छोड़ दो"
उसने क्रूरता से वार किया
लड़की चित हो गयी
वह उससे खेलता रहा, तड़पाता रहा
वह शांत थी अश्रु बहाती हुई
सूर्यास्त हो चूका था
उन तमन्नाओं का उस मुस्कान का