Mukesh Nirula
Drama
जीवन के सारे सुख-दुख को,
मैं तो तन्हा ही सहता हूँ।
ये शब्द गवाही दे देंगे,
इसलिये मौन ही रहता हूँ।
दस्तूर
आस
परवरदिगार
शहर
बस एक चुप सी ...
होली
शिक्षक
जीवन सफर
दर्द
शब्दों की गवा...
ममता में डूबे ख़जाने देखे हैं, हाँ, मैंने, माँ के आँसू देखे हैं ! ममता में डूबे ख़जाने देखे हैं, हाँ, मैंने, माँ के आँसू देखे हैं !
दिल तोड़कर किसी का मुस्कराते हैं लोग...! दिल तोड़कर किसी का मुस्कराते हैं लोग...!
ज्ञान मिले जीवन खिल जाए...! ज्ञान मिले जीवन खिल जाए...!
बेसबब गुज़रता रहता है शहरों की तंग गलियों से कभी तो कविता और ग़ज़लों की गली से होकर गुज़र बेसबब गुज़रता रहता है शहरों की तंग गलियों से कभी तो कविता और ग़ज़लों की गली से ह...
जीवन को जीते रहने का ये, हुनर कहाँ से लाती हो तुम ? जीवन को जीते रहने का ये, हुनर कहाँ से लाती हो तुम ?
उलझनों में रहकर भी सुलझे रहना ही तो ज़िन्दगी है...! उलझनों में रहकर भी सुलझे रहना ही तो ज़िन्दगी है...!
मौत पे सौ आँसू बहाते है लोग ! मौत पे सौ आँसू बहाते है लोग !
मोम के कोमल पंख लगाकर मैं क्यों सूरज को छूना चाहता हूँ ? मोम के कोमल पंख लगाकर मैं क्यों सूरज को छूना चाहता हूँ ?
गुस्सा आये तो, सता भी देता हूँ, प्यार आये तो, जता भी देता हूँ... गुस्सा आये तो, सता भी देता हूँ, प्यार आये तो, जता भी देता हूँ...
हिमगिरि से निकल कर कल-कल, निरंतर प्रवाहमान करती छल- छल, है मेरी जलधारा निर्मल, पर्वत श्रृंखला मात... हिमगिरि से निकल कर कल-कल, निरंतर प्रवाहमान करती छल- छल, है मेरी जलधारा निर्मल,...
आओ मिलके स्वच्छ बनाएँ अपना प्यारा हिंदुस्तान ! आओ मिलके स्वच्छ बनाएँ अपना प्यारा हिंदुस्तान !
खास की मन को मिल जाये, शांति उपहार पर खत्म नहीं हो रहा है, साखी का इंतजार खास की मन को मिल जाये, शांति उपहार पर खत्म नहीं हो रहा है, साखी का इंतजार
कौन है दुनिया मे जिसको ग़म नहीं वो तुम नहीं, वो हम नहीं ! कौन है दुनिया मे जिसको ग़म नहीं वो तुम नहीं, वो हम नहीं !
बिलखती है ख़ामोशी चीख़ता है सन्नाटा पालनकर्ता माँग रहा है दो रोटी का आटा...! बिलखती है ख़ामोशी चीख़ता है सन्नाटा पालनकर्ता माँग रहा है दो रोटी का आटा...!
इस किताब को पढ़ती नहीं जीती है स्त्री ! इस किताब को पढ़ती नहीं जीती है स्त्री !
लहरों के बीच अपनी कश्ती में किनारे से दूर बैठा हूँ...। लहरों के बीच अपनी कश्ती में किनारे से दूर बैठा हूँ...।
वो तो खर-पतवार जैसे उग ही जाती बेटियां पत्थरो-दीवार जैसे उग ही जाती बेटियां... वो तो खर-पतवार जैसे उग ही जाती बेटियां पत्थरो-दीवार जैसे उग ही जाती बेटियां...
क़लम की इस पैनी नोंक ने मुझे, शमशेरों से लड़ना सिखा दिया... क़लम की इस पैनी नोंक ने मुझे, शमशेरों से लड़ना सिखा दिया...
बिना परिश्रम किए, कभी भी हार मान मत। बिना परिश्रम किए, कभी भी हार मान मत।
उसकी बिखरी खुशबू में कुछ बातें कहनी थी तुमसे... उसकी बिखरी खुशबू में कुछ बातें कहनी थी तुमसे...