सबक
सबक
मुश्किलों में मुस्कुराना सीखो
दर्द जो दे तो उसको सबक सिखाना सीखो।
यह क्या कोने में बैठे रोते हो
जो रुलाए उसको भी ज़रा रुलाना सीखो।
तकल्लुफ करके तुमने क्या नया सीखा
दर्द जिस्म में छिपा करके तुमने क्या सीखा।
ऐसे भी क्या रस्म निभाते बैठो
जो सिफर थे उन्हें सिरमौर बनाना सीखो।
ज़रा सी बात पे भीड़ जुटाने वालों
हवा में घुल के संदली खुशबू सा महकना सीखो।
बहुत मुमकिन है कि लोग तुम्हें भटकायें
अंधेरों में भी सधे पाँव से अपने घर जाना सीखो।
नासमझी का तमाशा बनाने में देर कहाँ लगती है
तालियाँ पीटने वालों के मंसूबों को ज़रा समझो।
बहुत शिकायत थी तुम्हें मुझसे और मुझे तुमसे
मैं ज़रा झुकता हूँ, तुम भी ज़रा झुकना सीखो।
मुश्किलों में मुस्कुराना सीखो
दर्द जो दे तो उसको सबक सिखाना सीखो।
चुप रह जाने से तो कुछ घाव नए बनते हैं
बेधड़क गाओ और गुनगुनाना सीखो।