मैं... कौन?!
मैं... कौन?!
ना आयत क़ुरान की
ना ही श्लोक गीता का,
शब्द भले हो मेरे अलग
सार एक हर बात का।
ना मैं किसी वर्ण
ना ही किसी प्रांत का,
ना मैं किसी धर्म
ना ही किसी जात का,
करता नहीं कोई फ़र्क़
ना रखता भेद समाज का,
अंश हूँ वसुधेव कुटुम्बकम्
वासी मैं अपने भारत का।