तिरंगे को कोई ना झुका पाए
तिरंगे को कोई ना झुका पाए
तिरंगे को कोई ना झुका पाए
******************************
ऐसा हैं मेरा झण्डा ,
जो गीत ख़ुशी के गाए।
भारत के तिरंगे को,
कोई ना झुका पाए।।
ये शान हैं हमारी,
वीरों का बलिदान हैं।
ये देश का सारथी,
हमारा अभिमान हैं।।
उड़ता रहे गगन में,
चँहुओर ये लहराए।
भारत के तिरंगे को,
कोई ना झुका पाए।।
मजहब पे लड़ने वालों,
सुन लो ये कान खोल के।
लेंगे इसका बदला,
अपना लहू ये तोल के।।
ये भारती की शान है,
कोई ना आँच आए।
भारत के तिरंगे को ,
कोई ना झुका पाए।।
हम शख्श है ऐसे,
शेरों के संग रहते।
राणा की संतान हैं,
भारत को माता कहते।।
इतिहास कारगिल का,
क्या फिर से दोहराए।
भारत के तिरंगे को ,
कोई ना झुका पाए।।
ये सुन लो ए हवाँए ,
तुफाँ से जाके कह दो।
यह देश हैं अमन का,
यहाँ ना आ के देखो।।
बाँधे हैं कफन सर पे,
तो मौत भी घबराए।
भारत के तिरंगे को ,
कोई ना झुका पाए।।
"अनमोल"क्या है रूतबा,
ये पूँछ लो जहाँ से।
ऐसा वतन नहीं हैं,
जमीनो-आसमाँ पे।।
वन्दे मातरम् जहाँ ,
कण-कण में गुँजाए।
भारत के तिरंगे को,
कोई ना झुका पाए।।
अनमोल तिवारी "कान्हा"