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क्या हाल है तुम्हारा

क्या हाल है तुम्हारा

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क्या हाल है तुम्हारा,

मुझको भी तुम बताओ,

मशरूफ तुम कहाँ हो,

मशरूफियत बताओ ।


जब याद मेरी आये,

मुझको भी तुम बताओ,

पढ़ती रहो गज़ल तुम,

कैसी है तुम बताओ ।


लिखना है आज मुझको,

मौज़ू कोई बताओ,

गर है यकीन खुद पर,

मिलने कभी तो आओ ।


क्या-क्या किया है अबतक,

आकर मुझे बताओ,

इतना ही लिख सका मैं,

कैसी लगी बताओ ।


छोटी-सी मेरी कोशिश,

तुम हौसला बढ़ाओ,

फुर्सत कभी मिले तो,

गाकर मुझे सुनाओ ।


मंज़िल अगर हो मुश्किल,

तुम साथ मेरे जाओ,

मुझको सुनाओ हालत,

उलझन सभी बताओ ।


कहता हूँ मैं सना से,

दिल्ली हमेशा आओ,

छोड़ो जगह पुरानी,

दुनिया नई बनाओ ।


ग़म से लड़ो हमेशा,

आँसू ना तुम बहाओ,

मुझको है फिक्र तेरी,

कुछ दिन वहाँ बिताओ ।


करती हो जब इबादत,

मुझको दुआ में लाओ,

बातें बुरी लगी गर,

खुलकर मुझे बताओ ।


कुछ भी खता हो मुझसे,

हक है तुम्हें बताओ,

दुनिया अगर कातिल,

सहमी नज़र ना आओ ।


मेरी नसीहतों का,

तुम ना हँसी उड़ाओ,

लब हैं आजाद तेरे,

सब कुछ ना सुनते जाओ ।


बोलो मेरी कमी तुम,

सच सब मुझे बताओ,

कैसे है मुझको जीना,

अपनी हुनर सिखाओ ।


हँसता नहीं मैं अकसर,

ये फन मुझे सिखाओ,

तुमकोसिखाऊँ कुछ मैं,

कुछ तुम मुझे सिखाओ ।


मंजर की हर उदासी,

हँसकर भी तुम भूलाओ,

क्या हाल है तुम्हारा,

मुझको भी तुम बताओ ।


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