ए तो कुछ ज्यादा हो गया
ए तो कुछ ज्यादा हो गया
आँखों की ख़्वाहिश के सामने
मेरा दिल रो पडा......
व्क्त का के पहीए के सामने
मेरे सपने रो पड़े ,
एतो कुछ ज्यादा हो गया......
मेरे भुतकाल के सामने मेरा
भविष्य काल रो पड़ा की
एतो कुछ ज्यादा हो गया......
हमारे 'प्यार का सफर' का
एसा सुहाना था की हम खुद
रो पड़े की एतो कुछ ज्यादा हो गया......
जिंदगी की कठिनाइयाँ ऐसी थी की
बिचारा मौत भी रो पड़ा की
एतो कुछ ज्यादा हो गया.........
अतीथ था जो आसुं
बनकर बह रहा था
याद रो पड़ी की ,
ए कुछ ज्यादा हो गया......
ज़ल्दबाज़ी तो हमारे रग रग मैं
थी पर सब्र हमारा रो पड़ा ,
ए तो कुछ ज्यादा हो गया........
सपने तो बुलबुले जेसे थे,
उस के सामने हकीकत रो पड़ी
एतो कुछ ज्यादा हो गया........
उसकी बातों में मस्तियां ज्यादा थी
पर दिल सिसक कर रो पड़ा की
एतो कुछ ज्यादा हो गया......
दोस्त दुश्मन बने,अपने पराये हुए,
पर बिचारा भरोसा रो पड़ा की
ए कुछ ज्यादा हो गया........
प्यास तो दिलमे एसी थी के,
हम भी किसी को दिल में बिठाया करते थे,
पर आज ए चाहत रो पड़ी
एतो कुछ ज्यादा हो गया