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बहने दे

बहने दे

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बहना दे लावा

दिल के ग़मों का

सहलाने दे मन

को प्यार की मरहम से

कोई सपना तो सजाने दे इन  

खोई खोई से निगाहों में

कब तक यूँ चुप-चुप

सहना होगा दर्द की तपिश को

पीना होगा ज़माने भर के ग़मों

का ज़हर ........||

है ज़िन्दगी तो जी लें

ज़रा अपने लिए भी

दे दें खुद को भी मोहलत

हंस कर जीने की

माना आसां नहीं

डगर जीवन की

फिर भी एक कोशिश

तो कर ही सकते हैं

खुल कर जीने की ||

दे मात गम की हर चाल को

और होने दें सहर

इस तन्हाई की काली रात की

और बिखरने दें मुस्कुराहट

आंसू के हर पोर  पर

ढांप दें दामन के हर दुःख  को

सुख के कोमल स्पर्श से

और महकने दें जीवन की बगिया

एक कोशिश खुद के लिए

एक बार खुद के जीने के लिए

एक कोशिश खुद की आँखों से

खुद को तलाशने की .......

एक कोशिश हर ज़ख्म को

सहलाने की .......

एक कोशिश सूनी आँखों में

ख्वाब सजाने की...... ||

~~~~
मीनाक्षी सुकुमारन ~~~~


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