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Husan Ara

Drama Fantasy

5.0  

Husan Ara

Drama Fantasy

नया काम

नया काम

1 min
400


देख रहा हूँ ,

सामने से कोई आया था,

अभी मेरी ओर ।

शरमाया सा, लज्जाया सा,

आँखें चुराता ऐसे,

जैसे मन का चोर।

गया कहाँ वह?

सकुचाया सा,

अपना कटोरा छुपाता।

देखा बैठा दूर

पेड़ के नीचे अकेला

अपने आँसू सुखाता


एक हाथ मे कटोरा

एक में बैसाखी

सिर पर उम्मीदों का

बोझ था उसके

आँखों में उदासी

साथ में लाया था शायद

एक रोटी बासी

समझ नहीं थी शायद

उसको

मांगने की ज़रा सी

मैं बाज़ार में

सब काम छोड़

देख रहा था

उसको बार बार

मेरी बेचैनी भापकर

बोला मुझसे दुकानदार


बहुत मेहनती था

ये मज़दूर

पर एक हादसे ने बना डाला

इसे मजबूर

मेहनत की रोटी, खाता

घरवालों को खिलाता था

लगन काम की ऐसी थी

सबके मन को भाता था


पर वक़्त ने इसे फिर से

आज़माया है

हो के हर तरफ से मायूस

"नया-काम" ढूंढने आया है


अपने इलाज का

कर्ज़ भी तो चुकाना है

बच्चे भी छोटे है, माँ बीमार

खर्च भी तो उठाना है

कौन देगा काम इसे

अब ये मजबूर है

भीख मांगी नहीं जाती इससे

मेहनती है, आखिर मज़दूर है।


मैं देखे जा रहा था उसको

जो अपनी

बैठा था लाज बचाए

नहीं बढ़ाता हाथ, किसी के आगे

कोई आए कोई जाए


तभी अचानक खड़ा हुआ वह

बैसाखी अपनी थाम

मन में जागी इच्छा कोई

बहुत हुआ विश्राम

दिया कटोरा फेंक

शान से नज़र उठाई

कुम्हार, धोबी,मोची ,सब्जीवाला

मेहनत करता, दिया दिखाई


देखना

यह छोटी सी विपदा इसको

मेहनत से रोक ना पाएगी

यह मजबूरी

इसके आत्मसम्मान को

आग में झोंक ना पाएगी


मैं चल पड़ा उठाकर

हाथ में अपना थैला

ऐसा लगता कुदरत खुश है

सूरज दूर तक फैला


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