शोर ए दिल
शोर ए दिल
नहीं दौलत, पराई चाहता हूँ ।
मैं मेहनत की, कमाई चाहता हूँ ।।
नहीं आसान गो, तस्कीन पाना ।
मुक़द्दर आजमाई, चाहता हूँ ।।
ख्यालों को नई परवाज़ दे के ।
ज़माने तक रसाई चाहता हूँ ।।
सुकूने-दिल की खातिर ही तो सुनना ।
सदा सूफ़ी रुबाई चाहता हूँ ।।
है दिल में हसरते-दीदारे जानां ।
नज़र में परसाई चाहता हूँ ।।
’शशि’’ ने सी लिए लब, सोच कर यह ।
नहीं मैं, जग-हसाई, चाहता हूँ ।।