क्या रखा है यार ऐसी ज़िन्दगी में ।
क्या रखा है यार ऐसी ज़िन्दगी में ।
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क्या रखा है यार ऐसी ज़िन्दगी में
आदमी ज़िन्दा नहीं गर आदमी में
जाने किन हालात से गुज़री है सदियों
कुछ अजब सी ख़ामोशी है इस नदी में
यूँ तो कोई मक़सद न था जीने का यारो
बस के यूँ ही जी लिए हम दिल्लगी में
इश्क़ वाले जानते हैं दर्द इसका
रफ़्ता रफ़्ता जाती है जाँ आशिक़ी में
कुछ भी हो सकता है इस शय के सिवा अब
इश्क़ मुमकिन ही नहीं है इस सदी में