दोस्ती
दोस्ती
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आधी सी रात को कोई
आया मेरे घर पे और बोला
साले दरवाज़ा तो खोल
मैं हूँ तेरे दर पे।
लेके बैठे हम कॉफ़ी कप
और याद आये वो
कटिंग चाय कप।
और याद आयी वो
चुलबुली सी हँसी,
पहुँच गए उस उँचाई पर
जिसके सपने कभी देखे थे मैंने।
पर आज भी याद है वो मेरे
असाइनमेंट और प्रेक्टिकल
जो पूरे किये थे तूने।
हँसी तो आज भी है इन होठों पे
पर वो मस्ती इस दिल में आती नहीं दोस्त,
ज़माने की बाते दिमाग में रहे न रहे
पर तेरी याद दिल से जाती नहीं मेरे दोस्त।