लक्ष्य भेद
लक्ष्य भेद
धनुर्धारी था वो मगर,
तीरंदाज़ न बन सका।
अनगिनत तीर चलाया फिर भी,
लक्ष्य भेद न कर सका।।
सफल होने के लिये,
सिर्फ़ प्रयास नहीं चाहिये।
लक्ष्य पर आँखें टिकी हो,
और अभ्यास होनी चाहिये।।
लक्ष्य को जो ध्यान में रखता,
दिशा नहीं भटकता वो।
अर्जुन वही बनता है,
जिसका कोई गुरू हो।।