फ़ौजी
फ़ौजी
साथी घर जा कर समझा देना
मेरे अपनों को सब बतला देना ।
क्यों वादा अपना न निभा पाया
क्यों मैं लौट के घर न आ पाया।
धरती माँ के फ़र्ज़ निभाता रहा मैं
माँ तेरे पैर न दबा पाया ।
देश के ऋण को चुकाता रहा मैं
बाबा तेरा क़र्ज़ न मिटा पाया ।
वर्दी के प्रेम में दीवाना रहा मैं
प्रिये तुमपे प्रीत न लुटा पाया ।
पलटन को मार्ग दिखाता रहा मैं
भाई तुझको राह न बता पाया ।
हाथों से औज़ार चलाता रहा मैं
बहना तुझसे राखी न बँधा पाया ।
खेल रहा था संग गोली के मैं
बेटा तुझको बस न खिला पाया ।
साथी घर जा कर समझा देना
मेरे अपनों को सब बतला देना ।
अच्छा पति था, अच्छा पिता मैं
भला था भाई, अच्छा बेटा मैं ।
ये सारे फ़र्ज़ निभा डाले
पर तुम सबको ये न दिखा पाया ।